पायल की वो अदायें देखकर आंखें ठहर गईं
रात का समय था, गर्मी की वजह से खिड़कियां खुली हुई थीं। पायल अपनी बालकनी में खड़ी थी, और सामने वाले घर की खिड़की पर नजर पड़ते ही उसकी आंखें ठहर गईं। वहां से रोशनी आ रही थी, और अद्वैत, जो उसका पड़ोसी था, अपनी किताब पढ़ते हुए बालकनी में आ गया।
अद्वैत का व्यक्तित्व ऐसा था कि पायल की नजरें अक्सर उसकी ओर खिंच जाती थीं। कुछ महीनों से उनके बीच हल्की मुस्कान और बातचीत होती थी, लेकिन आज माहौल कुछ अलग सा था।
“आज रात काफी शांत है, है ना?” अद्वैत ने बालकनी से पायल की ओर देखते हुए कहा।
पायल मुस्कुराई और बोली, “शांत तो है, लेकिन यह चांदनी रात इसे और खूबसूरत बना रही है।”
अद्वैत उसकी बात सुनकर मुस्कुराया। “तुम्हारी मुस्कान इस चांदनी से भी ज्यादा खूबसूरत है,” उसने धीमी आवाज में कहा। पायल की दिल की धड़कनें तेज हो गईं।
अगले ही पल, अद्वैत ने उसे बालकनी में बुलाया। “अगर बुरा ना मानो, तो क्या मैं तुम्हारे साथ थोड़ी देर बैठ सकता हूं?”
पायल थोड़ी हिचकिचाई लेकिन फिर उसे मना नहीं कर पाई। दोनों एक ही बालकनी में आ गए। बारिश की हल्की बूंदें अब गिरने लगी थीं, और ठंडी हवा के झोंके ने माहौल को और भी जादुई बना दिया।
अद्वैत ने धीरे-धीरे पायल के हाथ को छुआ। “तुम्हें पता है, मैं तुम्हें देखता हूं तो लगता है कि कुछ कहना चाहिए, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाता।”
पायल की सांसें थम गईं। उसने हल्के से कहा, “क्या कहना है, अद्वैत?”
अद्वैत ने उसे करीब खींच लिया। “शायद मैं तुम्हें ये बताना चाहता हूं कि तुम्हारे बिना ये बालकनी, ये रातें, सब अधूरी लगती हैं।”
पायल ने उसकी आंखों में देखा और धीरे से मुस्कुरा दी। अद्वैत ने उसकी कमर को अपनी बाहों में ले लिया। “क्या मैं तुम्हारे करीब आ सकता हूं?” उसने फुसफुसाते हुए पूछा।
पायल ने अपनी आंखें बंद कर लीं। अगले ही पल, अद्वैत ने अपने होंठ उसके माथे पर रख दिए। बारिश की बूंदें अब तेज हो गई थीं, और उनके बीच की दूरी पूरी तरह मिट चुकी थी।
उस रात, उनकी बालकनी सिर्फ एक जगह नहीं थी, बल्कि उनके दिलों के मिलन की शुरुआत बन गई। दोनों ने महसूस किया कि प्यार पास ही था, बस उसे ढूंढ़ने की जरूरत थी।