अजनबी के साथ बिताई रात ट्रेन में ही
ट्रेन के झटके, बाहर बरसती बारिश और बंद बोगी के भीतर सिमटता तापमान, हर चीज जैसे उन्हें और करीब ला रही थी। अर्जुन का हाथ रिया के हाथों में हल्की गर्मी के साथ सिमट रहा था। उनकी निगाहें एक-दूसरे से सवाल कर रही थीं, जिनके जवाब शब्दों में नहीं, बस एहसासों में छुपे थे।
रिया ने महसूस किया कि अर्जुन का हाथ धीरे-धीरे उसकी उंगलियों को छूता हुआ उसकी हथेली को थामने लगा। उनकी सांसें पास आती जा रही थीं। “क्या मैं तुम्हें थोड़ा और करीब ला सकता हूं?” अर्जुन की आवाज़ में धीमी फुसफुसाहट थी।
रिया ने पल भर को उसकी ओर देखा, उसकी नजरों में एक असमंजस था, पर उसकी सांसों की हलचल ने उसे मौन सहमति दे दी। अर्जुन ने धीरे-से उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया, उसकी उंगलियों ने रिया के गालों पर अपना स्पर्श छोड़ते हुए उसे और करीब खींच लिया।
“तुम्हारी आंखों में कुछ ऐसा है, जो मुझे खो जाने पर मजबूर कर रहा है,” अर्जुन ने धीरे से कहा। रिया की आंखें झुक गईं, और उसकी पलकों के नीचे एक हल्की मुस्कान छिपी थी।
उनकी धड़कनें अब एक ताल में चल रही थीं। अर्जुन ने उसके कानों के पास जाकर फुसफुसाते हुए कहा, “यह रात हमारे लिए एक कहानी बन जाएगी, जिसे हम कभी भूल नहीं पाएंगे।”
रिया ने महसूस किया कि अर्जुन का हर शब्द उसकी आत्मा को छू रहा था। वह चाहकर भी उसे रोक नहीं पाई। अर्जुन ने उसके होंठों के पास अपने होंठ लाकर उसे हल्के से छू लिया। वह स्पर्श ऐसा था, जैसे किसी ने ठहरे हुए पानी में एक हलचल पैदा कर दी हो।
ट्रेन के झटकों के बीच उनका आलिंगन गहराता गया। बारिश की तेज आवाजें भी उनके दिलों की धड़कनों को दबा नहीं पा रही थीं। अर्जुन ने रिया को अपने करीब खींचा और उनकी सांसों के बीच की दूरी मिटने लगी। उनकी उंगलियां एक-दूसरे के शरीर को खोजती हुई, हर उस एहसास को जी रही थीं, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल था।
रिया ने अर्जुन के कंधों को अपने हाथों से थाम लिया। अर्जुन ने उसे अपनी बांहों में भर लिया, और उनका आलिंगन जैसे समय को थाम रहा था। उस छोटी-सी बोगी में, दो अजनबियों ने एक-दूसरे को पा लिया था।