सुनसान पहाड़ी लॉज में दो अजनबियों की रात

बर्फीली हवाओं का शोर और बाहर की सर्दी ने लॉज के भीतर का माहौल और भी ठंडा बना दिया था। तंदूर की आग में हल्की सी गर्मी थी, लेकिन उसे महसूस करने के लिए अधिक निकटता चाहिए थी। नेहा अपने कोट में सिकुड़ी हुई थी, और उसकी नजरें बार-बार खिड़की से बाहर जाती थीं, जैसे…

अजनबी के साथ बिताई रात ट्रेन में ही

ट्रेन के झटके, बाहर बरसती बारिश और बंद बोगी के भीतर सिमटता तापमान, हर चीज जैसे उन्हें और करीब ला रही थी। अर्जुन का हाथ रिया के हाथों में हल्की गर्मी के साथ सिमट रहा था। उनकी निगाहें एक-दूसरे से सवाल कर रही थीं, जिनके जवाब शब्दों में नहीं, बस एहसासों में छुपे थे। रिया…