नेहा की आंखों में छिपी चाहत
गर्मी की शाम थी, और आसमान में बादल धीरे-धीरे घिरने लगे थे। नेहा खिड़की के पास खड़ी थी, बाहर तेज़ हवाओं के साथ बारिश की पहली बूंदें गिरनी शुरू हो चुकी थीं। उसके बाल हवा में उड़ रहे थे, और हल्के से गीले ब्लाउज में उसकी खूबसूरती और निखर रही थी।
आदित्य ने कमरे में कदम रखा। उसने नेहा को खिड़की के पास खड़े देखा, और कुछ पल के लिए उसकी खूबसूरती में खो गया। “बारिश और तुम… दोनों ही बेहद खास लग रहे हो,” आदित्य ने मुस्कुराते हुए कहा।
नेहा ने हल्की मुस्कान दी और कहा, “बारिश के साथ कुछ और भी खास चाहिए।” उसकी आवाज़ में हल्की शरारत थी।
आदित्य उसके पास आया और धीरे से उसके बालों को पीछे करते हुए कहा, “तो, क्या मैं वो खास बन सकता हूं?”
नेहा ने उसकी ओर देखते हुए उसकी आंखों में छिपी चाहत को पढ़ लिया। उसने धीरे से कहा, “शायद तुम पहले से ही हो।”
आदित्य ने उसका हाथ पकड़कर उसे खिड़की से दूर कमरे के बीचों-बीच खींच लिया। कमरे की हल्की रोशनी और बारिश की आवाज़ माहौल को और भी जादुई बना रही थी। उसने धीरे से नेहा का चेहरा अपने हाथों में लिया और उसकी आंखों में गहराई से देखा।
“क्या मैं तुम्हारे करीब आ सकता हूं?” उसने फुसफुसाते हुए पूछा।
नेहा ने सिर झुका लिया और धीरे से कहा, “तुम्हें इजाजत की जरूरत नहीं है।”
आदित्य ने धीरे-धीरे उसका चेहरा अपने करीब लाया। उनकी सांसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं। नेहा ने अपनी आंखें बंद कर लीं, और आदित्य ने उसके होंठों को हल्के से छुआ। उस पल में, बारिश की बूंदों की हर आवाज़ धीमी पड़ गई, और वक्त जैसे थम गया।
उनका यह पल सिर्फ एक चुंबन तक सीमित नहीं रहा। आदित्य ने नेहा को अपने पास खींच लिया, और उनके बीच की हर दूरी खत्म हो गई। उसकी उंगलियां नेहा के बालों में उलझ गईं, और नेहा ने उसके सीने पर अपना सिर टिकाते हुए खुद को पूरी तरह उसके हवाले कर दिया।
बारिश की बूंदों और उनके दिलों की धड़कनों ने उस रात को यादगार बना दिया। दोनों ने महसूस किया कि प्यार सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि उन लम्हों में होता है, जो सब कुछ भुला देते हैं।