सुनसान पहाड़ी लॉज में दो अजनबियों की रात

बर्फीली हवाओं का शोर और बाहर की सर्दी ने लॉज के भीतर का माहौल और भी ठंडा बना दिया था। तंदूर की आग में हल्की सी गर्मी थी, लेकिन उसे महसूस करने के लिए अधिक निकटता चाहिए थी। नेहा अपने कोट में सिकुड़ी हुई थी, और उसकी नजरें बार-बार खिड़की से बाहर जाती थीं, जैसे वह किसी रहस्यमय स्थिति से उबरने की कोशिश कर रही हो।

अचानक, दरवाजे पर जोर से आघात हुआ और एक व्यक्ति अंदर आया— अर्जुन। उसकी आँखों में थका हुआ लेकिन आत्मविश्वास से भरा चेहरा था। उसके कंधे चौड़े और थके हुए थे, लेकिन उसमें छुपी हुई गर्मी और आकर्षण ने नेहा को खींच लिया। वह अपनी जैकेट को उतारते हुए बोला, “लगता है, तूफान ने हमें यहीं फंसा दिया है।”

नेहा ने हल्की सी मुस्कान दी और कहा, “हां, लगता है।” उसने झिझकते हुए कहा, “कृपया अंदर आइए, ठंड बहुत बढ़ गई है।”

दबाओ ना मुझे..  अजनबी के साथ बिताई रात ट्रेन में ही

कमरे में अब केवल तंदूर की हल्की रौशनी और ठंड का अहसास था। अर्जुन ने पास आकर, बिना शब्द कहे, अपनी जैकेट नेहा के कंधों पर डाल दी। उसके स्पर्श ने नेहा के शरीर को एक सिहरन से भर दिया। वह महसूस कर रही थी कि उसकी नज़दीकी में कुछ और था, कुछ ऐसा जो उसने पहले कभी अनुभव नहीं किया था।

अर्जुन ने धीरे से कहा, “ठंड के इस मौसम में शायद हमें एक-दूसरे के करीब रहना चाहिए।” उसकी आवाज़ में कुछ था, जो नेहा को और भी करीब खींचने की कोशिश कर रहा था।

नेहा ने कुछ कहने के बजाय अपनी आँखें झुका लीं, लेकिन उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं। अर्जुन ने धीरे-से उसकी पीठ पर अपना हाथ रखा और हलके से सहलाया, “तुम ठीक हो?”

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नेहा ने सिर झुकाकर कहा, “हां, बस ठंड लग रही है।” लेकिन उसका दिल अब बहुत तेज़ धड़क रहा था, और अर्जुन का स्पर्श जैसे उसकी सारी संवेदनाओं को छूने लगा था।

अर्जुन ने उसके चेहरे को धीरे-से अपनी हाथों में लिया। “तुम्हारी त्वचा इतनी मुलायम है,” उसने कहा, और उसकी उंगलियां नेहा के गालों पर घूमने लगीं। धीरे-धीरे उसकी नज़दीकी बढ़ने लगी। उनका सांस एक-दूसरे से मिल रहा था।

अर्जुन ने उसके होठों के पास अपने होंठ रखे, और यह पहली बार था जब दोनों के बीच एक सजीव चुंबन का एहसास हुआ। नेहा ने उसकी बाहों में खुद को खो दिया। उसकी छाती से उठती हुई गर्मी ने उसे पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया।

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कुछ समय बाद, अर्जुन ने नेहा को अपने पास खींचते हुए कहा, “क्या तुम भी महसूस कर रही हो? जैसे हर ठंडी हवा को हमारी नज़दीकी ने खत्म कर दिया हो।”

नेहा ने सिर हिलाया, और उनके शरीर के बीच का हर अंतराल अब पूरी तरह से मिट चुका था। उन्होंने एक-दूसरे को पूरी तरह से महसूस किया। अर्जुन ने धीरे-धीरे नेहा के शरीर को सहलाया, और उसकी गर्मी ने उसके भीतर के हर अहसास को उभार दिया।

उस रात, तंदूर की धीमी रौशनी के बीच, बर्फीली हवाओं के शोर में, दो अजनबियों ने एक-दूसरे को महसूस किया। यह रात केवल बर्फ और तूफान से नहीं, बल्कि एक गहरे और अदृश्य संबंध से भी भरी थी।

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