शरम और चाहत – भाभी, बारिश और राजेश
सावन का महीना था, और आसमान में बादल घिर आए थे। हवा में ठंडक और मिट्टी की खुशबू ने पूरे माहौल को जादुई बना दिया था। आकाश गहरा होता जा रहा था, और नेहा अपने आंगन में खड़ी होकर बारिश का इंतजार कर रही थी। उसका दुपट्टा कंधे से फिसलकर कमर पर टिक गया था, और उसकी भीगी हुई साड़ी उसे और खूबसूरत बना रही थी।
उसी वक्त, राजेश, जो नेहा का देवर था, आंगन में दाखिल हुआ। बारिश की पहली बूंदें गिरनी शुरू हो गई थीं, और दोनों ने एक-दूसरे को देखा। उनकी नजरों में कुछ अनकहा सा था, जैसे आसमान से गिरती बूंदें उनके दिलों की धड़कनों को और तेज कर रही थीं।
“भाभी, बारिश में भीगना इतना पसंद है?” राजेश ने मुस्कुराते हुए पूछा।
नेहा ने उसकी ओर देखते हुए कहा, “बारिश में भीगने का मज़ा ही कुछ और है। लगता है जैसे ये दिल की हर उलझन को बहा ले जाती है।”
राजेश उसकी बात सुनते हुए पास आ गया। “तो क्या ये बारिश मेरे सवालों का जवाब भी दे सकती है?” उसने धीमी आवाज़ में कहा।
नेहा ने उसकी आंखों में देखा। उसकी सांसें थम सी गईं। उसने कहा, “सवाल कैसा?”
राजेश ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “यही कि क्यों हर बार जब मैं तुम्हें देखता हूं, तो ये दिल संभलता नहीं?”
नेहा का चेहरा लाल हो गया। बारिश अब तेज़ हो चुकी थी, और दोनों के बीच की दूरी कम हो रही थी। राजेश ने धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया। “भाभी, मैं जानता हूं कि ये सही नहीं है, लेकिन तुम्हारे करीब आने का दिल करता है।”
नेहा ने कुछ नहीं कहा। उसकी आंखें झुकी हुई थीं, लेकिन उसके चेहरे पर शरम और चाहत साफ झलक रही थी। राजेश ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और कहा, “अगर ये गलत है, तो मुझे रोक लो।”
लेकिन नेहा ने कुछ नहीं कहा। उसकी चुप्पी ने राजेश को इजाजत दे दी। उसने धीरे से नेहा के माथे पर अपने होंठ रख दिए। बारिश की बूंदें अब उनकी त्वचा को छू रही थीं, और उनके दिलों की धड़कनें एक साथ गूंज रही थीं।
उस पल में, आसमान ने भी उनकी चाहतों को अपना गवाह बना लिया। बारिश की हर बूंद उनकी कहानी को गहराई दे रही थी। लेकिन जैसे ही उनका जादुई पल खत्म हुआ, नेहा ने हल्के से अपना हाथ खींच लिया।
“राजेश, ये जो हुआ, ये बस बारिश की एक गलती थी।” उसने मुस्कुराते हुए कहा और अपने कमरे की ओर चली गई।
राजेश वहीं खड़ा रहा, सोचते हुए कि शायद कुछ बातें और कुछ रिश्ते हमेशा अधूरे ही रहने के लिए बने होते हैं।